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गायक कौन राग है गाया / विष्णुकुमारी श्रीवास्तव ‘मंजु’

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गायक कौन राग है गाया?
टूटी वीणा के तारों को फिर से आज मिलाया।
तन मन प्राण सभी व्याकुल है, कैसा स्वर लहराया?
गायक यह क्या-स्वर लहराया?
टूटे बन्धन, पिया हलाहल, सूखा तरु हरिआया।
छूट रहा जग, भूला जीवन, यों उन्मत बनाया॥
गायक कैसा स्वर-लहराया?
यौवन के वे सुख सपने थे सपने हों या छाया?
नव वीणा थी मृदु पतंग का, जिसको आज जगाया?
बुझा नहीं, जल, जल, बुझने दे, आया समय, सुनाया?
गायक कैसा राग बजाया?
लुटे विश्व में, अन्धकार हैं, शोक-सिन्धु उफनाया।
डाँड़ पकड़ ले, पार लगादे, जीवन-पोत घुमाया।

गायक आज राग क्या गाया?
एक सार है, पुनः मिलन है, सोती व्यथा, उठाया!
हृदय तार पर करुण राग में, कौन गीत है गाया?
गायक हाय आज क्या गाया?
सदा तुम्हारे, रहे तुम्हारे, नाथ नहीं, क्या पाया?
छोड़ो नहीं, देव! आती हूँ, कहो, नहीं हूँ छाया।
हा! क्यों कहते, थी छाया।
गायक कहो नहीं थी छाया॥