गाया था उन तीनों ने एक साथ प्रेम को / क्रिस्टीना रोजेटी
गाया था उन तीनों ने एक साथ प्रेम को,
भिगोया एक ने अपने लाल रसीले होंठों पर प्रेम को,
और बहने दिया प्रेम को उत्तेजना के पीलेपन से देह के पोरों तक,
फिर सहेजा एक बर्फ़-सी कोमल लड़की ने प्रेम को,
नुमायशी काग़ज़ी ताज़ा फूलों की तरह,
तो प्रेम के बाद सिमट गया नीलापन असन्तुष्टि का किसी में,
वीणा के अधूरे अतृप्त तारों के अधूरे स्वर की तरह,
गीत गाती आवाज़ों पर प्रेम का क्या बोझ रहा,
एक का प्रेम डूब गया निर्लज्जता की ओढ़नी तले,
और एक बन नामालूम पत्नी चखती रही स्वादहीन प्रेम,
और एक का नीलापन हो गया समाहित मृत्यु के अन्धेरे में,
बन गयी दो कहानियाँ प्रेम में, मृत्यु की अंकशायिनी, और पाया
उसे हर विवादों के बाद,
और एक बन सन्तुष्ट परजीवी डूबी रही झूठी मिठास में,
प्रेम की देहरी पर तीन कहानियाँ दम तोड़ती रहीं,
अधूरी ही मरती रहीं
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र
और अब पढ़िए कविता मूल अँग्रेज़ी में
Three sang of love together: one with lips
Crimson, with cheeks and bosom in a glow,
Flushed to the yellow hair and finger-tips;
And one there sang who soft and smooth as snow
Bloomed like a tinted hyacinth at a show;
And one was blue with famine after love,
Who like a harpstring snapped rang harsh and low
The burden of what those were singing of.
One shamed herself in love; one temperately
Grew gross in soulless love, a sluggish wife;
One famished died for love. Thus two of three
Took death for love and won him after strife;
One droned in sweetness like a fattened bee:
All on the threshold, yet all short of life