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गाय सब गोवर्धन तें आईं / कुम्भनदास

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गाय सब गोवर्धन तें आईं।
बछरा चरावत श्री नंदनंदन, वेणु बजाय बुलाई॥१॥
घेरि न घिरत गोप बालक पें, अति आतुर व्हे धाई।
बाढी प्रीत मदन मोहन सों, दूध की नदी बहाई ॥२॥
निरख स्वरूप ब्रजराज कुंवर को, नयनन निरख निकाई ।
कुंभनदास प्रभु के सन्मुख, ठाडी भईं मानो चित्र लिखाई॥३॥