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गाय / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

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लुईस लाकासा के लिए

पेड़ से लटका दी गई
अधमरी गाय और तेज़ हवा
उसके सींगों पर वार करने लगी ।
थूथन पर लगा छींका
सनने लगा खून से ।

लार से बनती मूँछों के नीचे
गाय का थूथन मधुमक्खिों का छत्ता बन गया ।
एक सफ़ेद चीत्कार ने समूची सुबह को
खड़ा कर दिया पैरों पर ।

रौशनी और शहद के श्रोत जैसी,
गोशालाओं में, अपनी अधबंद आंखों में रंभाती रहीं दूसरी गाएँ,
मरी हुईं और जीवित भी ।

पेड़ की जड़ें और चाकू पर
धार लगाता बच्चा,
सब जान गए,
कि अब खाई जा सकती है गाय ।

धूमिल पड़ने लगी रौशनी
और गाय की ग्रीवा भी ।
उसके चारो खुर
थर्राने लगे हवा में ।

चाँद, और पीली चट्टानों वाली रात तक को
पता चल गया,
कि जा चुकी है
राख से बनी गाय ।

कि वह जा चुकी है रंभाते, चिंघाड़ते
और गुज़रते हुए
आकाश के क्षत ध्वंशावशेषों से
और वहाँ से भी,
जहाँ नशे में धुत लोग
मृतकों का नाश्ता करते हैं ।


अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीकान्त'