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गा रहीं समवेत स्वर में आज सारी तूतियाँ / उर्मिल सत्यभूषण

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गा रहीं समवेत स्वर में आज सारी तूतियाँ
हो रही हैं इन नगाड़ों पर ये भरी तूतियाँ

जब से जन्मी हैं नसीबों को ही ये रोती रही
चल पड़ी किस्मत बदलने कर्म मारी तूतियाँ

माँगती अपना रहीं हक, क्षीण सी आवाज़ में
बन चली दमदार नारे ये बिचारी तूतियाँ

इन नगाड़ों की करेंगी आज सिट्टी पिट्टी गुम
करके आईं, जंग की पूरी तैयारी तूतियाँ

दिन फिरेंगे घूरे के भी वक्त उर्मिल आ गया
कर रही हैं इन्क़लाबी दौर जारी तूतियाँ।