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गिरगिट / मणि मोहन
Kavita Kosh से
रंग बदल रहा है
गिरगिट
पेड़ पर बैठा हुआ
जबड़ों से ज्यादा खतरनाक हैं
उसके रंग
हरे पत्तों के बीच
एकदम हरियल हो जाता है
जमीन तक आते-आते
एकदम भूरा
पेट भर चुका है उसका
घर लौट रहा है गिरगिट...
(शाम के पाँच बजे हैं अभी)
पता नहीं
किस रंग में
प्यार करेगा अपनी मादा को
पता नहीं किस रंग में
चूमेगा अपने बच्चों को
जाने
किस रंग में
अपने घर
लौट रहा है गिरगिट ।