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गिरि शिखर, गिरि शिखर, गिरि शिखर / हरिवंशराय बच्चन
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गिरि शिखर, गिरि शिखर, गिरि शिखर!
जबकि ध्येय बन चुका,
जबकि उठ चरण चुका,
स्वर्ग भी समीप देख--मत ठहर, मत ठहर, मत ठहर!
गिरि शिखर, गिरि शिखर, गिरि शिखर!
संग छोड़ सब चले,
एक तू रहा भले,
किंतु शून्य पंथ देख--मत सिहर, मत सिहर, मत सिहर!
गिरि शिखर, गिरि शिखर, गिरि शिखर!
पूर्ण हुआ एक प्रण,
तन मगन, मन मगन,
कुछ न मिले छोड़कर--पत्थर, पत्थर, पत्थर!
गिरि शिखर, गिरि शिखर, गिरि शिखर!