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गिलहरी / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
एक गिलहरी मेरी कुटकुट।
खाती रहती काजू बिस्कुट॥
है सफ़ेद कुछ काली काली।
पहने कोट धारियों वाली॥
बालों भरी पूँछ झबराली।
मोटी मोटी बड़ी निराली॥
मूंगफली रानी दिखलाती।
आँगन में आकर खा जाती॥
जब वह उसे पकड़ने जाती।
भाग पेड़ पर है चढ़ जाती॥