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गिलहरी / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
आई भरी दुपहरी
चिच-चिच करे गिलहरी
देखें खुश हों बच्चे
गावों के या शहरी
क्यों पेड़ों चढ़ जाए
देख हमें, यह कह री
पके मधुर फल वाले
देखे ख्वाब सुनहरी
गर्मी गयी सुहानी
ठंड कटीली सह री
खुश-खुश बच्चे पालूँ
बात यही बस गहरी