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गीतावली अरण्यकांड पद 16 से 20 तक/पृष्ठ 2


शबरीसे भेण्ट

.रागसूहो

सबरी सोइ उठी, फरकत बाम बिलोचन-बाहु |
सगुन सुहावने सूचत मुनि-मन-अगम उछाहु ||

मुनि-अगम उर आनन्द, लोचन सजल, तनु पुलकावली |
तृन-पर्नसाल बनाइ, जल भरि कलस, फल चाहन चली ||

मञ्जुल मनोरथ करति, सुमिरति बिप्र-बरबानी भली |
ज्यों कलप-बेलि सकेलि सुकृत सुफूल-फूली सुख-फली ||