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गीतावली अरण्यकाण्ड पद 11 से 15/पृष्ठ 4

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नीके कै जानत राम हियो हौं |
प्रनतपाल, सेवक-कृपालु-चित, पितु पटतरहि दियो हौं ||

त्रिजगजोनि-गत गीध, जनम भरि खाइ कुजन्तु जियो हौं |
महाराज सुकृती-समाज सब-ऊपर आजु कियो हौं ||

श्रवन बचन, मुख नाम, रुप चख, राम उछङ्ग लियो हौं |
तुलसी मो समान बड़भागी को कहि सकै बियो हौं ||