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गीतावली पद 71 से 80 तक/पृष्ठ 9
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सुनु, सखि!भूपति भलोई कियो, री |
जेहि प्रसाद अवधेस-कुवँर दोउ नगर-लोग अवलोकि जियो, री ||
मानि प्रतीति कहे मेरे तैं कत सँदेह-बस करति हियो, री |
तौलौं है यह सम्भु सरासन, श्रीरघुबर जौलौं न लियो, री ||
जेहि बिंरचि रचि सीय सँवारी, औ रामहि एसो रुप दियो, री |
तुलसिदास तेहि चतुर बिधाता निजकर यह सञ्जोग सियो, री ||