गीतावली पद 71 से 80 तक / पृष्ठ 3
रङ्गभूमिमें
रङ्गभूमि आए, दसरथके किसोर हैं |
पेखनो सो पेखन चले हैं पुर-नर-नारि,
बारे-बूढ़े, अंध-पङ्गु करत निहोर हैं ||
नील पीत नीरज कनक मरकत घन
दामिनी-बरन तनु रुपके निचोर हैं |
सहज सलोने, राम-लषन ललित नाम,
जैसे सुने तैसेई कुँवर सिरमौर हैं ||
चरन-सरोज, चारु जङ्घा जानु ऊरु कटि,
कन्धर बिसाल, बाहु बड़े बरजोर हैं |
नीकेकै निषङ्ग कसे, करकमलनि लसै
बान-बिसिषासन मनोहर कठोर हैं ||
काननि कनकफूल, उपबीत अनुकूल,
पियरे दुकूल बिलसत आछे छोर हैं |
राजिव नयन, बिधुबदन टिपारे सिर,
नख-सिख अंगनि ठगौरी ठौर ठौर हैं ||
सभा-सरवर लोक-कोक-नद-कोकगन
प्रमुदित मन देखि दिनमनि भोर हैं |
अबुध असैले मन-मैले महिपाल भये,
कछुक उलूक कछु कुमुद चकोर हैं ||
भाईसों कहत बात, कौसिकहि सकुचात,
बोल घन घोर-से बोलत थोर-थोर हैं |
सनमुख सबहि, बिलोकत सबहि नीके,
कृपासों हेरत हँसि तुलसीकी ओर हैं ||