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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 21 से 30 तक/पृष्ठ 10

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महाराज रामपहँ जाउँगो |
सुख-स्वारथ परिहरि करिहौं सोइ, ज्यौं साहिबहि सुहाँउगो ||

सरनागत सुनि बेगि बोलि हैं, हौं निपटहि सकुचाउँगो |
राम गरीबनिवाज निवाजिहैं जानिहैं, ठाकुर-ठाउँगो ||

धरिहैं नाथ हाथ माथे, एहितें केहि लाभ अघाउँगो |
सपनो-सो अपनो न कछू लखि, लघु लालच न लोभाउँगो ||

कहिहौं, बलि, रोटिहा रावरो, बिनु मोलही बिकाउँगो |
तुलसी पट ऊतरे ओढ़िहौं, उबरी जूठनि खाउँगो ||