भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली / तुलसीदास / पृष्ठ 4
Kavita Kosh से
विश्र्वामित्रजी का आगमन
- चहत महामुनि जाग जयो / तुलसीदास
- आजु सकल सुकृत फलु पाइहौं / तुलसीदास
- देखि मुनि! रावरे पद आज / तुलसीदास
- राजन! राम-लषन जो दीजै / तुलसीदास
- रहे ठगिसे नृपति सुनि मुनिबरके बयन / तुलसीदास
- ऋषि सँग हरषि चले दोउ भाई / तुलसीदास
- दोउ राजसुवन राजत मुनिके सङ्ग / तुलसीदास
- मुनि के सङ्ग बिराजत बीर / तुलसीदास
- सोहत मग मुनि सँग दोउ भाई / तुलसीदास
- मञ्जुल मङ्गलमय नृप-ढोटा / तुलसीदास