गीता केे सच / सुभाष राय
1.
कोतवाल ने
फ़रमान जारी किया है
देश जहाँ भी हो
उसे ज़ँजीरों में जकड़कर
लाकअप में डाल दो
जोरों से तलाश है देश की
उस पर इनाम है
वो फ़रार है
2.
उसने स्वीकार किया है
संविधान एक पवित्र ग्रन्थ है
उसकी सुरक्षा बेहद ज़रूरी है
उसने तय किया है
जहाँ-जहाँ रखा है संविधान
गार्ड बिठा दो, ताले डाल दो
3.
वे ख़ुद खुले आसमान में हैं
मुझे राजमहल दिया है
वे ख़ुद अशक्त हैं, निरुपाय हैं
पर मेरी नाभि में अमृत दिया है
आओ सब मिलकर बोलो
जय श्रीराम, जय श्रीराम
4.
मैंने सूरज से कहा है
वह थोड़े दिन आराम करे
अब मेरी बारी है
मैं चमक रहा हूँ
आँखें खोलिए
आप देख सकते हैं
चारों ओर अन्धेरा, अं धे रा
5.
मैं हूँ, मैं ही हूँ
मैं अजय हूँ, अजेय हूँ मैं
नाथ हूँ, नाथों का नाथ हूँ
शाह में, बादशाह में, शहंशाह में
पूर्वजों में, वंशजों में
पीयूष स्रोत-सा बहता
मैं था, मैं हूँ, आगे भी रहने वाला हूँ