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गीत का मतलब / शिवदेव शर्मा 'पथिक'
Kavita Kosh से
एक गीत लिखने का मतलब, एक आह का बढ़ जाना है!
एक क़दम चलना तो केवल, एक राह का गढ़ जाना है!
बढ़ती जाती पंक्ति, दर्द की कड़ी बढ़ गई
उठते जाते पाँव, गर्द कि लड़ी चढ़ गई
भरता जाता कोष, हिरण मदहोश हो गया
पीते गए शराब, प्राण बेहोश हो गया
एक गीत लिखने से सौ-सौ वाह वाह का बढ़ जाना है!
एक गीत लिखने का मतलब एक आह का बढ़ जाना है!
एक बीज जो कल बोया था, आज़ अनगिनत फूल आ गए
बोया एक गुलाब और टहनी पर
निर्मम शूल आ गए
कही एक हीं बात जगत भर शोर पा रहा
एक अरुण निकला तो शत-शत भोर पा रहा!
एक नया माँझी! सागर में एक थाह का बढ़ जाना है!
एक गीत लिखने का मतलब, एक आह का बढ़ जाना है!