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गीत खुशियों के किस तरह गाऊँ / ब्रह्मजीत गौतम
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गीत खुशियों के किस तरह गाऊँ
बेवफ़ा, तुझको भूल तो जाऊँ
ज़ालिमा, ग़म तेरी जुदाई का
चाह कर भी भुला नहीं पाऊँ
ग़म ही ग़म हैं दिये मुहब्बत ने
चारागर, कौन सी दवा खाऊँ
प्यार का जो सिला दिया तूने
दे तुझे भी कोई, सुकूँ पाऊँ
ज़ह्र है आजकल हवाओं में
कैसे फूलों में ताज़गी लाऊँ
रास्ते बन्द हैं उम्मीदों के
अब किधर जाऊँ मैं कहाँ जाऊँ
‘जीत’ दिल आज ग़मज़दा-सा है
कोई अपनी ग़ज़ल ही दुहराऊँ