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गीत गाथा / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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गीत गाथा रीत गंगा पार के।
याद आबै छै कथा मझधार के।

रेत के दरिया बहै तूफान मेॅ
सामना मुस्किल छै करना धार के।

बाँन्ह के तोड़ी भसाबै दूर तक
डोॅर लागै ऊमतैलोॅ लार के।

चाँन पर करका घटा पहरा करै
डाल घेरा झमझमाझम तार के।

बेंग ताकै आसरा आखार के
नाव चिन्ता नै करै छै भार के।