भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीत तो ये हैं सभी उनको सुनाने के लिए / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
गीत तो ये हैं सभी उनको सुनाने के लिए
कुछ मगर हैं दिल ही दिल में गुनगुनाने के लिए
सामने नज़रों के आना उनसे बन पाता नहीं
बन गए थे सौ बहाने दिल में आने के लिए
यों तो ग़ज़लों के बहाने उनसे मिल लेते हैं हम
पर बहाना चाहिए कुछ तो बहाने के लिए
कट गयी है उम्र सारी काटते चक्कर, मगर
राह मिलती है न तेरे घर में आने के लिए
ज़िन्दगी की रात है यह एक ही तेरी, गुलाब!
और वह भी है मिली आँसू बहाने के लिए