भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीत ने गूँज पा ली है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
खट-खट-खट!!
खतरा नहीं
खटका नहीं
मात्र संकेत है सत्य का :
कि डकैत अँधेरा पकड़ गया है
उदार रोशनी का रथ आ रहा है
गरीब चिड़े ने आँखें खोल दी हैं,
व्योम में उड़ने जाना है
नदी ने राह खोज ली है
उसे समुद्र से मिलने जाना है
गीत ने गूँज पा ली है,
गूँज को गूँज से मिलने जाना है।
रचनाकाल: १४-११-१९७०