भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीत पुरानी पीढ़ी के ये / कुमार रवींद्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गीत पुरानी पीढ़ी के ये
                  इन्हें सँभालो

रक्खो इन्हें संग्रहालय में
काम आयेंगे यही किसी दिन
शायद कभी इन्हीं में खोजें
अर्थ धूप के साँसें कमसिन

अपने नये पॉप-सुर में
                मत इनको ढालो

इन्हें पुरानी बीन-बाँसुरी
या सितार ही रास आएँगे
निश्चित है - कल बच्चे-बूढ़े
मंत्र समझकर इन्हें गाएँगे

तब तक तुम भी झूठे
            अपने गाल बजा लो

इनमें हैं ढाई आखर के
ऋषि-मुनियों के बोल पुराने
आबोहवा खिले फूलों की
गाँव-गली के पते-ठिकाने

अच्छा हो यदि तुम भी
             इनकी आदत डालो