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गीत मैं तो सुनाती रहूँ रात भर / रंजना वर्मा
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गीत मैं तो सुनाती रहूँ रात भर
तुम मधुर मंद यूँ मुस्कुराते रहो।
मैं लिखूँ प्यार में जो तुम्हारे लिए
तुम अधर ही अधर गुनगुनाते रहो॥
पायलें छागलें औ महावर कहे
मेहंदी बिंदिया कहे साँस के स्वर कहे।
स्वप्न सारे समर्पित तुम्हें कर दिये
स्नेह सरिता सदा तुम बहाते रहो।
गीत मैं तो सुनाती रहूँ रात भर॥
गीत संसार के या कि अभिसार के
रूठने के लिखूँ या कि मनुहार के।
लेखनी हाथ में जब उठाऊ कभी
शब्द में हर तुम्ही तुम समाते रहो।
गीत मैं तो सुनाती रहूँ रात भर॥
तुम जहाँ भी रहो हम जहाँ भी रहें
रात से बात अपने हृदय की कहें।
चाँदनी से लिखूँ पत्र मैं चाँद पर
तुम उसे बाँच पाती पठाते रहो।
गीत मैं तो सुनाती रहूँ रात भर
तुम मधुर मन्द यूँ मुस्कुराते रहो॥