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गीत हर रोज़ गुनगुनाती है / रंजना वर्मा
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गीत हर रोज़ गुनगुनाती है
ये धरा यों ही मुस्कुराती है
प्यार करती है अपने बच्चों से
रात भर लोरियाँ सुनाती है
इसके कदमों में स्वर्ग है मेरा
याद ये हर घड़ी दिलाती है
धो रहा सिन्धु है चरण इसका
हर नदी नित सुधा पिलाती है
है वतन प्यार से भरा उपवन
प्राण कलिका भी वार जाती है
भूमि माता समान है अपनी
खूब ममता सदा लुटाती है
वीर बलिदान जो हुआ करते
शीश उनको सदा नवाती है