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गीत - 2 / मुकुटधर पांडेय
Kavita Kosh से
वर्ष शेष, हे वर्ष शेष
आ सुना मुझे प्रभु का निदेश
नव वर्षोत्सव-रत लोक सर्व
स्वागत तब हो मम हृदय गर्व
ये खिले फूल वन में अपार
कुर वक, ‘किंशुक औ’ कचनार
करता हूँ चरणों में सारा
अर्पित यह पुष्पांजलि विशेष
वर्ष शेष, हे वर्ष शेष।
-सन् 1918