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गीत / दीप्ति गुप्ता
Kavita Kosh से
वो दिल का तराना, वो बीता फसाना
क्यों याद आता है, वो बिछुड़ा जमाना
वो पीपल का साया, वो भौरों की गुनगुन
वो बादल की छाया, हवाओं की सनसन
वो ख्वाबों में डूबे, तेरा मुस्कराना!
क्यों याद आता है वो...
वो गर्मी की रातें, वो तारों की टिमटिम
वो अम्बवा की बौरें, वो पावस की रिमझिम
दबे पाँव आकर, तेरा लौट जाना!
क्यों याद आता है वो...
वो आँगन का कोना, वो चन्दा सलोना
नीली सी चादर का, सूना बिछौना
उदासी में डूबी, दो आँखों का मुँदना
क्यों याद आता है वो...