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गीत / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’

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आँधी और तूफ़ान बनकर
आया है इस ओर
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।
बादल गरजे – बिजली चमके
मेघा बरसे जोर
उमड़ – घुमड़ कर आवे बदरा
जियरा तरसे मोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
फूस मड़ैया चर – चर बोले
बंधन टूटे डोर
हौले – हौले फुदक चिरैया
खूब मचाये शोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
घर – आँगन सब पानी – पानी
जियरा डोले मोर
रात – रात भर जाग – जागके
करदी मैंने भोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
थर – थर काँपे मोर करेजवा
जिगर समाया चोर
डर के मारे जाग रही थी
झर – झर टपके लोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
गाँव में सगरी हंगामा है
दिखे नहीं अंजोर
लाठी लेके बुढ़वा बैठा
अपन दिखाने जोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
हाल – चाल कोई नहीं पूछे
सबकी आँखें लोर
जो सोया वो खोकर बैठा
जो है उसे बटोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।
है गरीब की यही कहानी
करते सब इग्नोर
बाद में आवे मिडिया वाले
खूब मचाते शोर।
पवन करे शोर… पवन करे शोर
पवन करे शोर… पवन करे शोर।।