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गीत / रत्नाकर पण्डित
Kavita Kosh से
(सत्रौं शताब्दीको पूर्वार्धतिर)
दुईमाना तिलखुडा दिनान् तीनमाता तोडाका
उईपनि आछिन भन्नान् पन्ताली ओडाका
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सुर्तानका ओथिकी जाई नाथिन सौज्यालकी
कापुडो रैछ ढकन्यालाई सांप्याली छौत्यालखीं
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साटिका सिंगाडा मनि एकलै गनहडया
मनहडया मडयापछि खेलन्या जनहडया
X X X
डोटी राम्डो डंडेलधुरा अछाम राम्डो सांप्या
मान्छे राम्डो मनमिल्याको पन्छी राम्डो डांफ्या