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गीत / लैंग्स्टन ह्यूज़ / मणिमोहन मेहता
Kavita Kosh से
मैं वहाँ बैठा रहा
अँधेरे में
उसके गीत गुनगुनाते हुए।
उसने कहा —
’मुझे समझ नहीं आते
शब्द‘।
मैंने कहा —
“यहाँ
शब्द कहाँ हैं”।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन