भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीत / शकुन्त माथुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

बुझा-बुझा गीत
सारा कुछ शीत
उलट गई सारी
बाँसुरी की रीत

बीत गई रैन
न निकल सके बैन
बँधे रुके
रोते रहे नैन
दुख न बँटा अपना
टूट गया सपना

थकी-थकी प्रीत
धोखा हुआ मीत
चाँदों में
तारों में
चलती राहों में
थकना ही थकना!