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गीत 1 / पहिलोॅ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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धृतराष्ट्र उवाच-
धर्म थल कुरुक्षेत्र में की भेॅ रहल संजय कहोॅ।
पुत्र अरु पाण्डव हमर की केॅ रहल संजय कहोॅ!
धर्म थल ताप थप जहाँ पर
इन्द्र ब्रह्मादिक तपल
जे जगह कुरु तप करी
पुनि यग के कर्ता बनल।
से जगह कैसे अपावन भेॅ रहल संजय कहोॅ!
की सुयोधन पर
धरम थल के असर कुछ भी परल?
था कि पाण्डव के निवृति
युद्ध से कुछ भेॅ रहल?
या सुलह के बात कोनो भेॅ रहल संजय कहोॅ!
हम व्यथित अंधा प्रशासक
हम दुखित लाचार हम।
हम सदा सत्ता मुखी छी
मोह के विस्तार हम।
हठ हमर अब नाश कुल के केॅ रहल संजय कहोॅ!
धर्मथल कुरु क्षेत्र में की भेॅ रहल संजय कहोॅ!