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गीले बालों से छनता सूरज / परवीन शाकिर

शोख़ किरन ने
गीले रेशम बालों को जिस लम्हा<ref>क्षण</ref> छुआ
बेसाख़्ता<ref>अनायास</ref> हँस दी
पलकों तक आते-आते
सूरज की हँसी भी
गोरी की मस्कान की सूरत
सात रंग में भीग चुकी थी !


शब्दार्थ
<references/>