गुंजित आज भइल भोजपुरी / किशोरी शरण शर्मा
गुंजित आज भइल भोजपुरी, सगरे देश-जहान में,
सप्त राग कल-कल निनाद ले, गाँव-गाँव हर प्राण में।
चलऽ चलीं हमहूँ कुछ गाईं, आपना खाँटी बोली में,
एकर अविरल शब्द अनूठा, चलऽ बताईं टोली में,
हमरा टोली में सब साथी विविध देश के, भाषा के,
सभे बखानऽ ला अपना के, अपन-अपन परिभाषा के,
ओमें चलऽ बखानी हमहूँ भोजपुरी प्रतिमान में।
हम भोजपुरिया हिन्दी गवलीं, लिखलीं ग्रन्थ अनेक,
अंगरेजी में नाम कमइलीं, देश-देश अभिषेक,
अबसे भी पहचान बनाईं, अपना बोली-बानी में,
घर-घर में फइलाईं एके देश-देश रजधानी में,
एकरा शब्दन में मानवता, जोस भरल अभियान में।
संत कबीर के अक्खड़पन बा, एमें बिरह भिखारी के,
राष्ट्रगीत रघुवीर सुनवलें स्वतंत्रता सुखकारी के,
कोटि-कोटि जिव्हा पर बइठल ई आपन भोजपुरी बा,
ई चन्दन के सौरभ भइया, मस्तक के ई रोरी बा,
एकरा के समृद्ध करीं जा, दे के स्थान विधान में।