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गुजरात क भुइंडोल / विनय राय ‘बबुरंग’

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छबीस जनवरी शुभ दिन जब जब गणतंत्र दिवस मनाई रे।
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

जब देखलीं गुजरात धरतिया नैना भरि-भरि जाई
गांव क गांव कहां धंसी गइलें जियरा डरि डरि जाई
अइसन प्रलय ना देखलीं कबहूं लाखों लोग दबाइल रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

केहू माई माई चिकरे केहू चिकरे बाबू भइया
ई का कइल हे भगवन तूे केहू क केहू नाहि सहइया
जेकर जेतना रहे कमाई कुल्हि धरती में समाइल रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

होति सबेरे फेरी खातिर जब चललें उन्ना मुन्ना दुलारा
लिहले हाथ तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा
उहो दबइलें गलियन में जब तल्ले तल्ला भहराइल रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

केतने टूअर भइले सुगनवां जब घर से नाता टूटि गइल
जेहरे देखलीं ढहल मकनवां आपन डिहवो छूटि गइल
अस्मसान अस गउवों लागे ई कइसन करम कमाई रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

दुनियां क जब कोना-कोना ई खबरिया पहँच गइल
पहुँचे लगली सेवा समिति सेनो झट से जुट गइल
मोटर रेल जहाज में भरि-भरि रासन दवा बंटाइल रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

जब अइलें विदेसी सेवक कुकुरों साथ में ले आइलें
मलबा में के जीयत बाटे सुंघ सुंघ बता दिहलें
हजारों जान बचा के कुकुर आपन धरम निभाई रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।

केकरा ऊपर का घहराई कुछ त भइया मदद करीं
जेवन दिहले रहबऽ भइया एक दिन तोहरा काम करी
बूँद-बूँद से भरेला सागर ई सभही जानत भाई रे
ना केहू भुलाई जब डोललि गुजरात में धरती माई रे।।