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गुजरात / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर

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राजा का मन ख़राब है, रात को नींद नहीं
कोई सुनता नहीं बात, पुलिस को गोली चलाने को कहा है
पुलिस चुन-चुनकर गोली मार रही है
फिर से घुटने का दर्द बढ़ा है ।

ऐसे वक्त में राजा का मन चाहता है शिकार पर चलें ।
जंगल में घुसने से पहले राजा ने मंत्री से पूछा :
‘क्यों जी, आज बारिश होगी?
मंत्री बोला, ‘नहीं सर, आज बारिश नहीं होगी’।
जंगल में घुसने पर राजा ने देखा एक कपास चासी<ref>कपास की खेती करने वाला</ref>
गधे की पीठ पर चढ़ गीत गाते-गाते जा रहा है
राजा बोला चासी को, ‘क्यूँ जी, आज बारिश होगी’।
चासी मिनट भर खामोश रहा, फिर बोला, ‘हाँ सर, आज बारिश
होगी।’

घने जंगल में राजा के घुसते ही बारिश शुरू हो गई, भीगता है कौवा ।
घर लौटते बुखार, तीन दिन बाद बुखार से उठते ही
मंत्री को भगाया, और उसकी जगह पर बुलाकर
बैठाया चासी को ।
चासी ने प्रेस कांफ्रेंस की, ढेरों फ़ाइलें साइन की
राजा के पास आया, राजा बोला, ‘आओ, आओ बैठो
अब बताओ तो ज़रा कैसे कहा तुमने उस दिन कि बारिश होगी?’

गर्वीला चासी बोला, ‘उसमें क्या बड़ी बात है
मैं गधे की पीठ पर चढ़ा गीत गाते-गाते जा रहा था
उस गधे ने मुझसे फुसफुसाकर कहा
‘कहो, बारिश होगी, कहो बारिश होगी, कहो ...
और मैंने आपसे कह दिया बारिश होगी’।

गुजरात में गोली चल रही है, राजा का मन खराब है,
पौर सभा हाथ से गई
फिर भी चासी को भगा दिया
चासी को भगाकर उसकी जगह
चासी का गधा लाकर बिठा दिया ।

पुनश्च : ख़बर आई इस तरह, दो हज़ार दो साल तक राजा की मंत्रीसभा
में प्रायः दो सौ गधों ने प्रवेश किया था वे लोग गुजरात में आग बुझा
नहीं पाए, लेकिन राजा से कहा था बारिश होगी, बारिश होगी, बारिश
होगी ।

मूल बांगला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता

शब्दार्थ
<references/>