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गुज़रने ही न दी वो रात मैंने / शहजाद अहमद
Kavita Kosh से
गुज़रने ही न दी वो रात मैंने
घड़ी पर रख दिया था हाथ मैंने
फ़लक की रोक दी थी मैंने गर्दिश
बदल डाले थे सब हालात मैंने
फ़लक कशकोल लेके आ गया था
सितारे कर दिए खैरात मैंने