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गुड़ियाघर / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
गुड़ियाघर, यह गुड़ियाघर,
लगता अम्माँ, कितना सुंदर!
यहाँ लगा है किस्म-किस्म के
रंगों का एक मेला,
कितनी मस्ती, चहल-पहल है
कोई नहीं अकेला।
गुड़िया गुड्डे देश-देश के
बुला रहे हैं भीतर!
यह जापानी गुड़िया हरदम
मुसकाती रहती है,
मगर फ्रांस से आई गुड़िया
गुस्से में लगती है।
इंगलिस्तानी गुड्डा इक
देख रहा है बिटर-बिटर!
कितना अच्छा चीनी बच्चा
चौड़ा हैट लगाए,
एक आदिवासी बालक है
तीर-कमान उठाए।
घास-फूस, तिनकों का देखो
बना हुआ है बढ़िया घर!