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गुनाहों से भरी है यह नापाक जिंदगी मेरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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गुनाहोंसे भरी है यह नापाक जिंदगी मेरी।
परवरदिगार! कभी न ग‌ई गुनाहोंपर नजर तेरी॥
तूने हमेशा मुझ गुनहगारपर नजरे मेहर की।
प्यारसे पास बिठलाया, कभी भी दुत्कार न दी॥
कहा-’बच्चे! तुझ बेसमझके सारे गुनाह माफ हैं।
तेरे लिये मेरी रहमका रास्ता सदा साफ है’॥
क्या शुक्रिया अदा करूँ, मालिक! मैं खादिम तेरा।
कदमोंमें पड़ा रख औ कहता रह-’तू गुलाम मेरा’॥