भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुमसुम उदास छोॅ कुछ बात छै जरूर / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
Kavita Kosh से
गुमसुम उदास छोॅ कुछ बात छै जरूर।
बस जित्तोॅ लहास छोॅ कुछ बात छै जरूर।
बोलोॅ ने बोलोॅ सब बात उघरिये जैथौं,
कैहने हतोपरास छोॅ, कुछ बात छै जरूर!
गुम्मी साधी केॅ गम पीयोॅ नै दुनियाँ भर के
सीमा के आस-पास छोॅ, कुछ बात छै जरूर!
दिल होय छै हौलकोॅ मन के गुमार निकलला सें
पर आदमी तों खास छोॅ कुछ बात छै जरूर!
खोजला सें निकलिये जाय छै दिलदार कोय-नी-कोय
कैहने हतविश्वास छोॅ? कुछ बात छै जरूर!