भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुरुजी चलहुँ जनकपुर / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रूजी चलहुँ जनकपुर होय के चलो
गुरूजी चलहुँ जनकपुर हो हो हो

यही रे जनकपुर में धनुसा धरो है
यही रे जनकपुर में धनुसा धरो है
वही धनुसा कोॅ उठाय के चलो
हे हो वही धनुसा कोॅ उठाय के चलो
गुरूजी चलहुँ जनकपुर होय के चलो

यही रे जनकपुर में कन्याकुमारी है
यही रे जनकपुर में कन्याकुमारी है
वही कन्या कोॅ बिहाय के चलो
हे हो वही कन्या कोॅ बिहाय के चलो
गुरूजी चलहुँ जनकपुर होय के चलो