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गुरु बिन ज्ञान ध्यान नहिं होवै / दयाबाई

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गुरु बिन ज्ञान ध्यान नहिं होवै।
गुरु बिनु चौरासी मन जावै॥
गुरु बिन राम भक्ति नहिं जागै।
गुरु बिन असुभ कर्म नहिं त्यागै॥
गुरु ही दीन दयाल गोसाईं।
गुरु सरनै जो कोइ जाई॥
पलटैं करैं काग सूँ हंसा।
मन को मेटत हैं सब संसा॥
गुरु हैं सागर कृपा निधाना।
गुरु हैं ब्रह्म रूप भगवाना॥
हानि लाभ दोउ सम करि जानैं।
हदै गं्रथि नीकी विधि मानैं॥
दै उपदेश करैं भ्रम नासा।
दया देत सुख सागर बासा॥
गुरु को अहिनिस ध्यान जो करिये।
बिधिवत सेवा में अनुसरिये।
तन मन सूं अज्ञा में रहिये।
गुरु आज्ञा बिन कछू न करिये॥