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गुरु मानूँ तो मानूँ किसे? / नीता पोरवाल

गुरु मानूँ तो मानूँ किसे
उसे?
गर्भ में खत्म करने के लिए मुझे
उड़ेल कर हलक में सिरका
दुनिया का चलन समझाया जिसने?

या उसे
आधा पानी आधा दूध थमाकर
हर हाल में
जिन्दा रहने का हुनर सिखाया जिसने?

या फिर उसे
राह चलते फब्तियाँ कस-कस
अपनी अलबेली सोच से परिचित कराया जिसने?

या उसे
अपनी नापाक़ हरक़तों से
गुरु हो सकने का हर भरम तोड़ा जिसने?

या फिर उसे
अँधेरे रास्तों में अकेला छोड़
मेरा खुद से तआरुफ़ कराया जिसने?