भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुलशन में ये कमाल तुझे देख कर हुआ / मंसूर उस्मानी
Kavita Kosh से
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
गुलशन में ये कमाल तुझे देख कर हुआ
फूलों का रंग लाल तुझे देख कर हुआ
मुद्दत के ब'अद आज मिले हैं तो जान-ए-मन
दिल को बहुत मलाल तुझे देख कर हुआ
आओ हम आज चाँद का क़र्ज़ा उतार दें
तारों को ये ख़याल तुझे देख कर हुआ
ख़ुशबू से किस ज़बान में बातें करेंगे लोग
महफ़िल में ये सवाल तुझे देख कर हुआ
अश्कों से जब लिखेंगे ग़ज़ल तब सुनाएँगे
इस दिल का जो भी हाल तुझे देख कर हुआ