गुलाब और पिछली गर्मी / मेरी ओलिवर / नीता पोरवाल
क्या बीतती है
पत्तियों पर जब वे
हो जातीं हैं लाल और सुनहली और झर जातीं हैं?
क्या बीतती है
गीत गातीं चिड़ियों पर
जब वे लंबे समय तक गा नहीं पातीं?
क्या होता है उनके तेजी से झरते पंखों संग?
क्या आप सोचते हैं कि
हममें से किसी के लिए कोई व्यक्तिगत स्वर्ग होता होगा?
क्या आप किसी के लिए ऐसा सोचते हैं?
उस अँधेरे का दूसरा पहलू हमें पुकारेगा, हमें मायने बतायेगा?
पेड़ों के उस पार लोमड़ियाँ अपने बच्चों को
घाटी में रहने के पाठ सिखातीं हैं
जिससे वे नजरों से ओझल न हो जाएँ, हमेशा रोशनी के उस घेरे में रहें
जो अंधकार भरे आसमान में, पहाड़ियों के दल के ऊपर, समंदर के ऊपर हर सुबह फूटती है
आखिरी गुलाबों ने ताज़गी भरे अपने कारखाने खोल दिए हैं
और दुनिया को वापस लौटा रहे हैं
अगर मुझे दूसरी ज़िन्दगी मिले
तो मैं इसे बेलौस खुशियों पर खर्चना चाहूंगी
मैं एक लोमड़ी होना चाहूंगी, या लहरातीं हुई शाखाओं से भरा एक पेड़
मुझे गुलाबों से भरे खेत में एक गुलाब होने से भी गुरेज नहीं होगा
उन्हें अभी तक न तो कैसा भी भय हुआ और न ही कोई महत्त्वकांक्षा
वजह क्योंकि उन्होंने अभी तक ऐसा सोचा ही नही।
कि उन्हें कब तक गुलाब बने रहना होगा
और उसके बाद क्या
इस तरह के मूर्खता भरे दूसरे सवाल उनसे कभी नहीं किये जाते