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गुले-गुलज़ार होकर सो रहा है / दीपक शर्मा 'दीप'
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गुले-गुलज़ार होकर सो रहा है
बड़ा बदका र होकर सो रहा है
किसी को नींद के लाले पड़े हैं
कोई पुरख़ा र होकर सो रहा है
वहाँ पर पासबा नी लुट रही है
सिपहसाला र होकर सो रहा है?
ज़मीं का हश्र देखा और तब से
फ़लक़ बीमार होकर सो रहा है
इधर मैं इश्क़ होकर जग रहा हूँ
उधर वो प्या र होकर सो रहा है
अलहदा बात कह दी यार तुमने
कि वो सरकार होकर सो रहा है
अरे बे-शर्म, बे-गैरत, अरे..उठ!
अबे..!इज़हार होकर सो रहा है?
यहाँ इस पार मैं भी सो रहा, वो
वहाँ उस पार होकर सो रहा है