Last modified on 29 मार्च 2013, at 11:31

गुलों के साथ अजल के पयाम / ग़ुलाम रब्बानी 'ताबाँ'

 गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए
 बहार आई तो गुलशन में दाम भी आए

 हमीं न कर सके तज्दीद-ए-आरज़ू वरना
 हज़ार बार किसी के पयाम भी आए

 चला न काम अगर चे ब-ज़ोम-ए-राह-बरी
 जनाब-ए-ख़िज़्र अलैहिस-सलाम भी आए

 जो तिश्ना-ए-काम-ए-अज़ल थे वो तिश्ना-काम रहे
 हज़ार दौर में मीना ओ जाम भी आए

 बड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए 'ताबाँ'
 रह-ए-हयात में ऐसे मक़ाम भी आए