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गुल्लू की राखी / प्रदीप शुक्ल

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गुल्लू ने ज़्यादा की चिल्लम-चिल्लाई
दीदी ने थोड़ी सी कर दी पिटाई
सबेरे से गुल्लू पड़े मुँह फुलाए
न राखी बँधाई, न खाई मिठाई

दीदी ने गुल्लू को जब-जब मनाया
गुल्लू ने तब-तब बहुत भाव खाया
दीदी ने फिर खूब रोना मचाया
गुल्लू बेचारा बहुत सकपकाया

दादी ने जल्दी से थाली सजाई
गुल्लू ने झटपट बढ़ाई कलाई।