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गुल ब बुलबुल बहार में देखा / मीर तक़ी 'मीर'

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गुल ब बुलबुल बहार में देखा
एक तुझको हज़ार में देखा

जल गया दिल सफ़ेद हैं आखें
यह तो कुछ इंतज़ार में देखा

आबले का भी होना दामनगीर
तेरे कूचे के खार में देखा

जिन बालाओं को 'मीर' सुनते थे
उनको इस रोज़गार में देखा