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गुवाड़ी रो धरम / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
मा आखै घर में
काढ़ दियो झाडू
फाटेड़ी निवार वाळो माचो
ढाळ दियो छात माथै
आंगणै में सूकता
गाभा समेट‘र धर दिया
मोटेडै़ बगसै में
टाबरां रा पट्टा बा‘र
काजळ पण घाल दियो
दिनूगै पैली।
जरूरी है सगळा जतन
बटाऊ बावड़ैला आज घरां
मायड़ सावचेत है
पाळै गुवाड़ी रो धरम
फूटरापो दिखाणै वेगी
कांण-कसर ढ़ाब देवणी
मुळकता उणियारै ओटै।