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गुसलखाने में नल बहने की आवाज़ / हेमन्त शेष

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गुसलखाने में नल बहने की आवाज़ को भी
एक छिपकली बरसात समझ सकती है

बिना छिपकली हुए ऐसी मार्मिक ग़लतफ़हमी को
नल नहीं
जान सकती है तो सिर्फ मेरी कविता ही
नहा रही है जो मेरे साथ